मथुरा में श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी: ‘वेणु-मंजिरिका’ पुष्‍प-बंगले में विराजेंगे ठाकुरजी

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मथुरा। भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्मभूमि पर भगवान श्रीकृष्‍ण का परम पुनीत जन्ममहोत्सव शास्त्रीय मर्यादाओं एवं परंपराओं के अनुसार भाद्रपद कृष्‍ण अष्‍टमी पर 30 अगस्त 2021 सोमवार को मनाया जायेगा।

इस संबंध में जानकारी देते हुये श्रीकृष्‍ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि इस वर्ष भगवान श्रीकृष्‍ण के 5248वें जन्ममहोत्सव के दिव्य अवसर पर जन्मस्थान की साज-सज्जा, ठाकुरजी की पोशाक, श्रृंगार नयनाभिराम होंगी। जन्मभूमि के अन्दर एवं परिसर के बाहर से श्रद्धालुगण जिस दिशा से भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्‍मभूमि के दर्शन करेंगे, वहीं से उनको जन्मभूमि की अद्भुद छटा की अनुभूति हो, ऐसा प्रयास चल रहा है। भगवान श्रीकृष्‍ण की प्राकट्य भूमि एवं कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भ-गृह की साज-सज्जा अद्भुद होगी।

गर्भ-गृह के प्राचीन वास्तु अथवा मूलरूप में बिना कोई परिवर्तन किये हुए कारागार का स्वरूप प्रदान किया जायेगा, जिससे श्रद्धालुओं को उनकी भावना के अनुरूप ठाकुरजी के दर्शन प्राप्त होंगे, साथ ही पर्व के अनुकूल प्रकाश का संयोजन भी गर्भगृह की भव्यता एवं दिव्यता में वृद्धि करेगा। गर्भगृह के बाहरी हिस्से में उत्कीर्ण भगवान के जन्म से पूर्व की लीलाऐं भक्तों के आकर्षण का केन्द्र रहती हैं। इन स्थानों पर प्रकाश की विशेष व्यवस्था रहेगी।

30 अगस्त सोमवार को ही प्रातः दिव्य शहनाई एवं नगाड़ों के वादन के साथ भगवान की मंगला आरती के दर्शन होंगे। तदोपरान्त भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जायेगा एवं भगवान के पवित्र स्त्रोतों का पाठ एवं पुष्‍पार्चन होगा।

प्रातः 10 बजे भव्य पुष्‍पांजलि कार्यक्रम का आयोजन भागवत-भवन मंदिर में श्रीराधाकृष्‍ण के श्रीविग्रह के समक्ष किया जायेगा। इस अवसर पर भजन-गायन सुप्रसिद्ध भजन गायिका कीर्ति किशोरी के द्वारा किया जायेगा।

जन्म महाभिषेक का मुख्य कार्यक्रम रात्रि 11 बजे श्रीगणेश-नवग्रह आदि पूजन से शुरू होगा। तदोपरान्त 1008 कमल-पुष्‍प से ठाकुरजी का सहस्त्रार्चन करते हुऐ आव्हान किया जायेगा। रात्रि 12 बजे भगवान के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में बज उठेंगे ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, मृदंग साथ ही हरिबोल के साथ नाच उठेंगे असंख्य भक्तजन-संत एवं भगवान के जन्म की महाआरती शुरू होगी जो रात्रि 12 बजकर 15 म‍िनट बजे तक चलेगी। ढोल एवं मृदंग अभिषेक स्थल पर तो बजेंगे ही साथ-ही-साथ सपूर्ण मंदिर परिसर में स्थान-स्थान पर भी इनका वादन होगा।

भगवान के प्राकट्य की सूचक मंगल ध्वनि का प्रसारण जन्मस्थान परिसर के बाहर ध्वनि विस्तारक (लाउडस्पीकर) के माध्यम से भी किया जायेगा जिससे जो श्रद्धालु परिसर के अन्दर प्रवेश नहीं कर पायेंगे, वह भी उस दिव्य ध्वनि का आनन्द लेते हुऐ भगवान के प्राकट्य के साक्षी बनेंगे। इससे आनन्दविभोर श्रद्धालु हरिनाम संकीर्तन एवं नृत्य आदि कर भगवान के समक्ष अपने भावसुमन अर्पित कर पायेंगे। तदोपरान्त केसर आदि सुगन्धित द्रव्यों से लिपटे हुये भगवान श्रीकृष्‍ण के चल विग्रह मोर्छलासन में विराजमान होकर अभिषेक स्थल पर पधारेंगे। संस्थान ने सभी ब्रजवासियों, श्रद्धालुओं से आव्हान करते हुए निवेदन क‍िया है कि सभी अपने निवास एवं मंदिरों में घण्टे-घड़ियाल और शंख ध्वनि से रात्रि 12 बजे भगवान का स्वागत करें।

भगवान श्रीकृष्‍ण के रजत कमलपुष्‍प में विराजित श्रीचल विग्रह का अभिषेक दूध, दही, घी, बूरा, शहद, दिव्य औषधि एवं वनस्पतियों से किया जायेगा। भगवान का प्रथम जन्माभिषेक स्वर्ण मण्डित रजत से निर्मित कामधेनु स्वरूपा गौमाता करेंगी। शास्त्रीय मान्यता है कि गौमाता में स्वयं 33 कोटि देवतागण वास करते हैं। भगवान का जन्म महाभिषेक रात्रि 12 बजकर 15 बजे से रात्रि 12 बजकर 30 म‍िनट तक चलेगा। तदोपरान्त 12.40 से 12.50 तक श्रंगार आरती के दर्शन होंगे। जन्म के दर्शन रात्रि 1.30 बजे तक खुले रहेंगे।

इस नयनाभिराम दृश्‍य को विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम में सजीवता के साथ दिखाया जा सके इसके लिए अभिषेक स्थल पर बनाये जा रहे मंच को भी विशेष स्वरूप प्रदान किया जायेगा।

श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने आगे बताया कि भगवान के दर्शनार्थ बाहर से आने वाले श्रद्धालु जहां स्थान की भव्यता एवं दिव्यता को देखकर आनन्दित हो उठेंगे, वहीं टीवी चैनलों के माध्यम से इस अलौकिक महोत्सव के प्रसारण को देखने वाले श्रृद्धालुओं को भी वही आभास होगा जैसे वे स्वयं कृष्‍ण की पवित्र प्राकट्य भूमि पर मनाये जा रहे इस जन्म महोत्सव अभिषेक में सम्मिलित हों, ऐसा संस्थान का प्रयास है।

संस्थान का यह भी प्रयास है कि जो भावना एवं कल्पना इस पवित्र स्थान पर इस अलौकिक जन्म महोत्सव के लिए भक्तों के हृदय में सदैव बनी रहती है, वह इस उत्सव के दर्शन से और अधिक पुष्‍ट हो। लड्डू गोपाल को इस पवित्र दिवस पर वृहद मात्रा में लड्डू एवं मेवा-पाग का भोग लगाया जायेगा। भगवान के भोग के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के स्वादिश्ट लड्डुओं को, कुशल कारीगर एवं भक्तगण रात-दिन भाव और श्रद्धा के साथ बना रहे हैं। भगवान को मुख्यतः मेवे, कूटू, गोंद एवं मिंगी के लड्डुओं का भोग लगाया जायेगा।

सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि देश-विदेश से पधारने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जन्मभूमि के सभी संपर्क मार्गो पर जूताघर एवं सामान घर की व्यवस्था की गयी है, सभी आवश्‍यक स्थानों पर पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।

श्रृद्धालुओं के सुगम प्रवेश को दृष्‍ट‍िगत रखते हुये लाउडस्पीकर के माध्यम से निर्देष दिये जायेंगे, साथ ही बैरीकेडिंग इस प्रकार से की जा रही है कि जिससे कि श्रद्धालु कम से कम समय में दर्शन प्राप्त कर सकें। जन्माष्‍टमी के दिन श्रृद्धालुओं का प्रवेश गोविन्द नगर द्वार (गेट नं0-3) से होगा एवं निकास मुख्य द्वार (गेट नं0-1) से होगा।

साथ ही श्रद्धालु से अनुरोध किया है कि जन्मभूमि के लिए प्रस्थान करते समय अपने आवश्‍यक सामान जैसे – मोबाइल फोन, कैमरा, रिमोट की रिंग, थैला, माचिस, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, चाकू, ब्लेड आदि अन्य कोई भी इलैक्ट्रोनिक सामान अपने साथ न ले जायें। इन्हें या तो अपने वाहन में, अपने ठहरने के स्थान पर छोड़ कर आयें अथवा मार्ग में बने सामान घर में जमा कर रसीद/कूपन अवश्‍य प्राप्त कर लें।

श्री शर्मा ने आगे बताया कि श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान विगत वर्षों की भांति चार स्थानों पर सामान-घर- जूताघर का संचालन करेगा। यह सामान घर रूपम सिनेमा, गोविन्द नगर थाने के सामने, श्री गर्तेश्‍वर मंदिर तिराहा, श्री राधा पार्क (श्रीगर्तेश्‍वर मंदिर के निकट) पर बनाये जायेंगे। प्रत्येक सामान घर, जूता घर के साथ आपात कालीन स्थिति में श्रद्धालुओं को प्राथमिक चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी, मथुरा के सहयोग से व्यवस्थायें सुनिश्‍च‍ित की जायेंगी।

श्रृद्धालुओं की सुविधा, सामान घर-जूता घर के सुचारू संचालन एवं परिसर में सुगम एवं निर्बाध प्रवेश को दृष्‍ट‍िगत रखते हुये संस्थान द्वारा गोविन्द नगर के श्रीगर्तेश्‍वर मंदिर तिराहा में सेवा नियंत्रण-कक्ष बनाया जायेगा। जहां संस्थान के अधिकारी आवष्यकता अनुसार सेवा के लिए उपलब्ध रहेंगे।

संस्थान द्वारा परिजनों से बिछुड़े हुऐ लोगों को मिलाने के लिए जन्मस्थान के गेट नं0-1 के समीप आयुर्वेद-भवन प्रांगण में खोया-पाया केन्द्र बनाया जा रहा है। खोया-पाया केन्द्र से मंदिर के चारों ओर लाउडस्पीकर की व्यवस्था की गई है जिससे खोया-पाया केन्द्र की व्यवस्था सुचारू चल सके।

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