पेरेंट्स पर ही निर्भर है बच्चे के जीवन की सारी परफॉरमेंस

Life Style

माता-पिता बच्चे के पहले गुरू होते हैं। बच्चे के स्कूल पहुंचने और फॉर्मल शिक्षा शुरू करने से पहले ही सीखने की उसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी होती है, जिसमें अहम भूमिका निभाते हैं पेरेंट्स। पेरेंट्स बच्चों को किस तरह से तैयार करते हैं इसका असर जीवनभर उन पर रहता है। बच्चे जीवन में आगे चलकर कैसे परफॉर्म करेंगे, यह बहुत हद तक इस पर निर्भर करता है कि पेरेंट्स उसे किस तरह प्रेरित करते हैं।

बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं

शिक्षक गोकुलनाथ का मानना है कि बच्चों को एक आत्मनिर्भर स्टूडेंट बनाना चाहिए जिससे वे खुद पहल करें क्योंकि बच्चे स्वाभाविक रूप से उत्सुक होते हैं और उनमें सीखने की ललक होती है। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वह उनकी उत्सुकता को कायम रखें और आगे बढ़कर चीजों के बारे में जानकारी हासिल करने में उनकी मदद करें। छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर पेरेंट्स बच्चों के अंदर छिपे आत्मविश्वास को बाहर ला सकते हैं।

बच्चों के दोस्त बनें

अपने बच्चे की कमियों की बजाए उसकी उपलब्धियों पर ध्यान दें। याद रखें कि आप अपने बच्चे के सबसे अच्छे दोस्त, प्रेरक और गाइड हैं। यदि आप उन पर विश्वास करते हैं तो वे खुद पर विश्वास करना शुरू कर देंगे और आत्मविश्वास से सीखने वाले बनेंगे। स्टडीज बताती हैं कि जब माता-पिता अपने बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं, तो बच्चों पर बहुत पॉजिटिव असर होता है।

सीखने की प्रक्रिया को रियल बनाएं

बच्चे जब चीजों को वास्तविक जीवन से जोड़ते हैं, तब सबसे सही तरीके से सीखते हैं। उन्हें हर छोटी से छोटी चीज वास्तविक जीवन के उदाहरणों के जरिए समझायी जाए। इससे बच्चे को किसी भी कोई भी अवधारणा समझने और जीवन में उन्हें बनाए रखने में मदद मिलेगी। सैद्धांतिक अवधारणाओं और असली दुनिया के बीच संबंधों को उजागर करें। इससे उनकी सोचने की क्षमता और निर्णय लेने का दायरा भी बढ़ जाएगा।

हां तुम कर सकते हो

बच्चों में हां तुम ऐसा कर सकते हो वाली अप्रोच को बढ़ावा दें। काम को जल्दी खत्म करने में उनकी मदद करने की बजाय धैर्य रखें जब तक बच्चा खुद काम पूरा न कर लें। अपने बच्चे को आश्वस्त करें कि कुछ भी सीखना मुश्किल नहीं है।

उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा एक बोतल का ढक्कन खोलने की कोशिश करता है और सफल नहीं होता तो तुरंत उसकी मदद करने की कोशिश न करें। थोड़ा इंतजार करें ताकि वह इस काम में होने वाली मुश्किल को भी समझ सके और कोशिश करने से हार न माने। अगर बच्चे को एक आत्मनिर्भर, इनिशिऐटिव लेने वाला बनाना चाहते हैं तो उसके सीखने के जुनून को भी बनाए रखें।

गलतियों को भी सेलिब्रेट करें

गलतियों पर डांटना, बच्चे को दूसरे बच्चों से कम्पेयर करना उसके आत्मविश्वास के लिए बहुत घातक होता है। गलतियों को सेलिब्रेट करें इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उन्हें उनकी कमियों को ताकत में बदलने में मदद मिलती है। यदि बच्चा गलती करता है, तो उसे उसकी खामियों के लिए लताड़ने की बजाय समझाएं कि इसे सही तरीके से कैसे ठीक किया जा सकता है। उसे प्रोत्साहित करें और बताएं कि आपने भी गलतियां की हैं और उनसे सीखा है।

उदाहरण के लिए, किसी पज़ल गेम में एक पीस गलत जगह रख दें या जूते को उल्टा करके रख दें, आपको हैरानी होगी कि आपके बच्चे ने पज़ल को सही कर दिया या जूते को सीधा करके रख दिया। सबसे जरूरी बात उन्हें यह समझाना है कि जब तक वह अपनी तरफ से सब सही करने की कोशिश करते रहते हैं, तब तक गलती करना भी ‘ठीक’ है।

मोटिवेशन ही है मंत्र

थोड़ा सा प्रोत्साहन एक लंबा सफर तय करने में मदद करता है। सीखने के प्रति बच्चे के नजरिये को बढ़ावा देता है और साथ ही उसके आत्मविश्वास को भी बढ़ावा देता है। अकैडमिक और सोशल स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने का यह सफल गुरूमंत्र है।

-एजेंसियां