परिवार से बढ़ती दूरियो का कारण बनी सोशल मीडिया की लत

Life Style

Technology हमारे जीवन पर इतनी हावी हो गई है कि एक कमरे में एक सोफे पर बैठकर भी सब चुप होते हैं और शरीर से कमरे में होते हुए भी दिमाग से सब वर्जुअल दुनिया में होते हैं। मतलब अपने-अपने फोन के साथ फेसबुक, यूट्यूब और वॉट्सऐप जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर व्यस्त।

बुरा नहीं है फोन पर व्यस्त रहना और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है। जरूरत से ज्यादा फोन का इस्तेमाल हमें मानसिक रूप से भी थकाने वाला होता है। जिसका असर हमें काफी बाद में पता चलता है।

हम सभी जानते हैं कि आजकल हमारे पास वक्त की कमी है। पेरेंट्स और बच्चे सभी अपनी-अपनी लाइफ में व्यस्त हैं।

व्यस्त रहने में कोई बुराई नहीं है लेकिन अगर सोशल प्लेटफॉर्म आपकी लत बन गया है तो आप उस पर भले ही कितने भी एक्टिव रहते हों परंतु आपकी फैमिली लाइफ और अपने परिवार से बॉन्डिंग टूटती जा रही है।

इस पर वक्त रहते काम करने की जरूरत है। इससे पहले कि आपको लगने लगे कि आप अपने परिवार के साथ रहते हुए भी उससे बहुत दूर हो गए हैं।

क्या पड़ता है असर?

विशेषज्ञों के अनुसार परिवार से बढ़ती दूरियां शुरुआत में समझ में नहीं आती हैं लेकिन इसका अहसास तब जरूर होता है, जब हमें किसी भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है। क्योंकि तब हम अपने परिवार को अपनी भावनाओं से जुड़ा हुआ नहीं पाते हैं और उनसे अपनी बातें शेयर करने में हमें दिक्कत आती है। कई बार हम भीड़ में भी खुद को अकेला फील करने लगते हैं।

क्या करें और कैसे करें?

सायकाइट्रिस्ट्स का कहना है कि बुरा नहीं है फोन पर व्यस्त रहना और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है। जरूरत से ज्यादा फोन का इस्तेमाल हमें मानसिक रूप से भी थकाने वाला होता है। जिसका असर हमें काफी बाद में पता चलता है। साथ ही सोशल मीडिया पर लोग कई बार गलत लोगों के चंगुल में भी आ जाते हैं। हर Technology के अपने फायदे और नुकसान हैं। यह हमें समझना होता है कि हमारे लिए क्या बेहतर है और क्या नहीं। हर प्लेटफॉर्म के यूज के लिए समय निर्धारित करें और परिवार के लिए भी समय जरूर निकालें।

ऐसे करें डील

अपने सभी शौक जारी रखते हुए अपने परिवार के लिए भी वक्त निकालें। दिन में कम से कम एक बार पूरा परिवार कुछ वक्त के लिए साथ बैठकर बातें करें। अगर ऐसा लगे कि किस मुद्दे पर और क्या बात करें तो इसका भी समाधान है। बच्चों से उनके स्कूल, कॉलेज या ऑफिस के बारे में पूछें। दिन कैसा रहा उनका, क्या किया आज पूरा दिन साथ ही दिनभर की अपनी गतिविधियों के बारे में भी बताएं।

-एजेंसियां