नई दिल्ली। Woman Safety को लेकर इलेक्ट्रॉनिक तरीके भी हैं तरह तरह के एप हैं मगर ये कितने कारगर हैं , इस पर बहस अब तेज हो गई है क्योंकि अकसर देखा जाता है कि इमरजेंसी के समय इनसे कभी कभी ही मदद मिलती है ।
हैदराबाद में दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद 3 दिसंबर को बेंगलुरू पुलिस कमिश्नर भास्कर राव ने Woman Safety के लिए लोगों से सुरक्षा एप का इस्तेमाल करने की अपील की थी , इस के बाद बेंगलुरू के 1.3 लाख लोगों ने ‘सुरक्षा’ एप डाउनलोड किया है। बेंगलुरू पुलिस के डिप्टी कमिश्नर कुलदीप जैन ने कहा- पिछले हफ्ते हुए हैदराबाद में हुए गैंगरेप के बाद, पहली बार एक हफ्ते के अंदर इतनी बड़ी तादाद में लोगों ने इस एप को डाउनलोड किया।
इस एप को 2017 में लॉन्च किया गया था और अब तक 2.8 लाख लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं। पुलिस का दावा है कि एप पर मात्र 7 सेकंड में रिस्पॉन्स मिलेगा। शहर के सभी पुलिस स्टेशनों में दो पेट्रोलिंग व्हीकल तैनात किए गए हैं, जो एप पर आए इमरजेंसी कॉल पर तुरंत कार्यवाही करेंगे।
एप को कोई भी इस्तेमाल कर सकता है: महिला-पुरुष का भेद नहीं
‘सुरक्षा’ एप पूरी तरह जेंडर न्यूट्रल है इसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता है। जैन ने कहा कि पुरुष भी इसे बढ़-चढ़ कर इस्तेमाल कर रहे हैं। लॉन्चिंग के समय इसे इतना अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला, लेकिन अब इसके डाउनलोड्स में इजाफा हुआ है। 3 दिसंबर को बेंगलुरू पुलिस कमिश्नर भास्कर राव ने लोगों से सुरक्षा एप का इस्तेमाल करने की अपील की थी, ताकि खतरे के समय जल्द से जल्द सहायता मुहैया कराई जा सके। पुलिस और प्रशासन ने लोगों को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम भी आयोजित किए।
गूगल प्ले स्टोर पर महिला सुरक्षा के 200+ ऐप, लेकिन सिर्फ 20% ही काम के
रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल प्ले स्टोर पर वुमन सेफ्टी के 200 से ज्यादा ऐप्लीकेशन्स मौजूद हैं। लेकिन इनमें 20 फीसदी ऐप ही ऐसे हैं जो उपयोगी हैं। केन्द्रीय एजेंसियों को सायबर क्राइम की ट्रेनिंग दे चुके दिनेश ओबेरजा ने बताया कि गूगल प्ले स्टोर पर वुमन सेफ्टी से संबंधित दो तरह के ऐप हैं। एक में आपातकाल में सूचना सीधे पुलिस को मिलती है। दूसरे प्रकार के ऐप में घरवालों को जानकारी मिलती है। गूगल प्ले स्टोर के ऐप का विश्लेषण किया था तो करीब 20 फीसदी ऐप ऐसे हैं, जिनमें सीधे सूचना पुलिस को जाती है। इन ऐप्स की रेटिंग भी चार या उससे ज्यादा है। करीब इतने ही ऐप के दूसरे फीचर्स महिलाओं के लिए ज्यादा उपयोगी हैं।
मध्यप्रदेश: एक लाख से ज्यादा लोगों ने पुलिस का ऐप इंस्टॉल किया
मध्यप्रदेश में लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए प्ले स्टोर पर एमपीईकॉप ऐप मौजूद है। इसे एक लाख से ज्यादा लोग इंस्टॉल कर चुके हैं। इसमें ‘एसओएस’ बटन की सुविधा दी गई है, जिसे दबाते ही ऐप में फीड किए गए पांच इमरजेंसी कॉन्टैक्ट्स तक मैसेज पहुंच जाता है। इसमें से एक मैसेज पुलिस के पास भी पहुंचता है, जिसके बाद लोकेशन के आधार पर सहायता मुहैया कराई जाती है। इसके अलावा भी ऐप में कई सुविधाएं हैं, जिनमें गुमशुदा लोगों और चोरी हुए वाहनों की जानकारी शामिल है।
राजस्थान: एक लाख लोग चला रहे हैं ऐप
यहां महिला सुरक्षा के लिए राजकॉप ऐप है। इसे करीब एक लाख लोगों ने डाउनलोड किया है। ऐप पर हर महीने करीब 200 शिकायतें आती हैं। इसमें एसओएस बटन हाेता है। बटन काे दबाने पर लाेकेशन और संबंधित थाने की जानकारी कंट्राेल रूम के पास चली जाती है। कंट्राेल रूम से एक मिनट से भी कम समय में रिटर्न काॅल आता है।
दिल्ली: चल रहे हैं दो ऐप, एक लाख यूजर्स
दिल्ली में महिला सुरक्षा के दो ऐप हैं हिम्मत प्लस और तत्पर। हिम्मत प्लस ऐप में मोबाइल को जोर से हिलाकर भी सूचना सीधे पुलिस कंट्रोल रूम में जाती है। तत्पर ऐप की शुरुआत उपराज्यपाल अनिल बैजल ने की थी। ऐप के जरिए 50 से ज्यादा सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है। दोनों के एक लाख से ज्यादा यूजर्स हैं।
उत्तर प्रदेश : एक दर्जन ऐप शुरू हुए, अब सब बंद
यूपी में महिला अपराध को रोकने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर हेल्पलाइन और ऐप बनाए गए, लेकिन कोई भी ऐप सफल नहीं हो पाया। करीब एक दर्जन से ज्यादा मोबाइल ऐप सिर्फ़ ट्रायल तक शुरू हुए और बंद हो गए। हालांकि महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नम्बर 1090 एक्टिव है।