काला बाज़ार: गूगल प्ले और एप्पल एप स्टोर से की जाती है इन औरतों की ख़रीद-फ़रोख्त

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जिस समय आप कुवैत की सड़कों पर ड्राइव कर रहे होंगे या चल रहे होंगे तो आप इन औरतों को नहीं देख पाएंगे. ये बंद दरवाज़ों के पीछे रहती हैं, उन्हें उनके मौलिक अधिकार तक नहीं पता हैं, वो उस जगह को छोड़कर जा नहीं सकतीं किंतु उनकी ऊंची, सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के साथ जाने को मजबूर भी हैं.

एक छोटे से स्मार्टफ़ोन पर स्क्रॉल करने पर आपको उनकी हज़ारों तस्वीरें दिख जाएंगी. ये तस्वीरें उनकी भिन्नता के आधार पर होंगी और कुछ हज़ार डॉलर में बिकने के लिए तैयार.

एक ख़ुफ़िया पड़ताल से पता चला कि घरेलू काम के लिए अवैध रूप से औरतों को ऑनलाइन ख़रीदा और बेचा जा रहा है. यह एक काला बाज़ार है जहां गूगल प्ले और एप्पल एप स्टोर के माध्यम से फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर इन औरतों की ख़रीद-फ़रोख्त की जाती है, वो भी हैशटैग के साथ.

ग़ुलामों का बाज़ार

ग़ुलामी के समकालीन रूपों की जानकारी रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की दूत उर्मिला भूला ने हमें बताया कि वे इनके माध्यम से ग़ुलामों की ऑनलाइन ख़रीद-फरोख़्त को प्रोत्साहित करते हैं.

“अगर गूगल, एप्पल, फ़ेसबुक और अन्य कोई भी ऐसी कंपनी इस तरह के ऐप्स की होस्ट हैं, तो उन्हें इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. ”

कुवैत के हर दस में से नौ घरों में घरेलू सहायिकाएं हैं- वे खाड़ी के कुछ सबसे ग़रीब देशों से आती हैं. उनका मक़सद कुछ पैसे कमाना होता है ताकि वे अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सकें.

खुफ़िया टीम कुछ इस तरह कुवैत पहुंची जैसे वो वहां बिल्कुल नई है और वहां उन्होंने क़रीब 57 ऐप यूज़र्स से बात की. इसके अलावा टीम ऐसे दर्जनों लोगों से भी मिली जो अपनी सहायिका को एक बेहद मशहूर कमोडिटी ऐप 4सेल के ज़रिए बेचना चाहते थे.

वहां मौजूद लगभग सारे विक्रेताओं ने उन महिलाओं के पासपोर्ट ज़ब्त करने और उन्हें फ़ोन पर बेहद कम बात करने या ना करने देने की वकालत की.

4सेल ऐप इन महिलाओं को उनके रेस के हिसाब से चुनने का विकल्प देता है, हर महिला एक खांचे में होती है जिसका दाम तय होता है. और उसे उसी के हिसाब से बेचा जाता है.

हमारी ख़ुफ़िया टीम ने वहां सुना कि कुछ लोग लगातार कह रहे थे कि भारतीय सबसे गंदे होते हैं. वे ऐसा महिलाओं को वर्णित करने के लिए कर रहे थे.

मानवाधिकारों का उल्लंघन

हमारी टीम से ऐप यूज़र्स ने अनुरोध किया जो कि वहां ख़ुद को उन खड़ी महिलाओं के मालिक के तौर पर पेश कर रहा था. उसने अनुरोध किया कि इन महिलाओं को ज़रूरी बुनियादी मानवीय अधिकार भी नहीं दिए जाएं. जैसे एक मिनट या एक सेकेंड की मोहलत.

एक पुलिसकर्मी जो अपनी कामगर महिला को बेचना चाहता था, उसने कहा मेरा यक़ीन कीजिए यह बहुत अच्छी है. इसका चेहरा मुस्कुराता हुआ है. अगर आप इसे सुबह पांच बजे भी उठाएंगे तो भी यह शिकायत नहीं करेगी.

उसने बताया कि कैसे घरेलू सहायकों को किसी सामान की तरह इस्तेमाल किया है. “आप किसी को यहां 600 केडी में नौकरानी ख़रीदते पाएंगे और फिर उसे ही क़रीब 1000 केडी में बेचते हुए.”
उसने ख़रीदारों को टिप दी. यह पासपोर्ट इसे यह मत दीजिए. आप इसके स्पॉन्सर हैं. आप उसे उसका पासपोर्ट क्यों देंगे.

एक बेहद चौंकाने वाल केस में ऐसा हुआ कि टीम को भी एक 16 वर्षीय लड़की का प्रस्ताव दिया गया.

उसे पश्चिम अफ्रीका के गीनिया से मानव तस्करी के जरिए लाया गया था. वह पिछले छह महीने से कुवैत में ही घरेलू सहायिका के तौर पर काम कर रही थी जबकि नियमानुसार घरेलू सहायकों को 21 वर्ष से अधिक का होना चाहिए.

उसका पासपोर्ट और फोन छीन लिया गया था, और उसे अकेले घर छोड़ने की अनुमति नहीं थी, जबकि ये सभी कुवैत में अवैध हैं.

प्रायोजक की अनुमति

उर्मिला भूला कहती हैं, “यह आधुनिक दासता का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है.”

“यहाँ एक बच्चे को संपत्ति के एक टुकड़े की तरह, चटखारे की तरह बेचा और ख़रीदा जा रहा है.”
खाड़ी में अधिकांश स्थानों पर, घरेलू श्रमिकों को एजेंसियों द्वारा देश में लाया जाता है और फिर सरकार के साथ आधिकारिक तौर पर पंजीकृत किया जाता है.

संभावित नियोक्ता एजेंसियों को शुल्क का भुगतान करते हैं और घरेलू कार्यकर्ता के आधिकारिक प्रायोजक बन जाते हैं.

इसे ‘कफ़ला’ प्रणाली के रूप में जाना जाता है, एक घरेलू कार्यकर्ता अपनी नौकरी नहीं बदल सकता है और न ही अपने प्रायोजक की अनुमति के बिना देश छोड़ सकता है.

साल 2015 के एक क़ानून ने इन घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए कुवैत को खाड़ी के सबसे सख़्त नियमों का पालन करने वाल देश एक बना दिया. लेकिन क़ानून सभी के लिए एक समान नहीं हैं.

4सेल जैसे ऐप नियोक्ताओं को अपने लाभ के लिए घरेलू कर्मचारियों को बेचने में सक्षम बनाते हैं. यह एजेंसियों से इतर एक अनियमित काले धंधे को आकार देता है जो महिलाओं के साथ

दुर्व्यवहार और शोषण को बढ़ावा देता है लेकिन यह ऑनलाइन ग़ुलाम बाज़ार सिर्फ़ कुवैत में नहीं हो रहा है.

सऊदी अरब में जांच में पाया गया कि सैकड़ों महिलाओं को एक अन्य लोकप्रिय कमोडिटी ऐप हाराज पर बेचा जा रहा है.

‘एक जीता-जागता नरक’

टीम ने उस लड़की के परिवार से संपर्क करने के लिए गीनिया की यात्रा की.
घरेलू कामगारों के रूप में हर साल सैकड़ों महिलाएँ यहाँ से खाड़ी में तस्कर की जाती हैं.
एक घरेलू कामगार महिला ने बताया ‘कुवैत वास्तव में एक नरक है.’
कुवैती अधिकारी घरेलू कामगारों के लिए सरकार द्वारा संचालित आश्रम में ले गए. जहां से उसे नाबालिग होने के कारण गीनिया वापस भेज दिया गया.
उसने बताया: “वे मुझ पर चिल्लाते थे और मुझे जानवर कहते थे.”
कुवैती सरकार का कहना है कि वह इस मामले की सख़्त और गहराई से जांच करेगी.
हालांकि अभी तक कोई महत्वपूर्ण कार्यवाही नहीं की गई है. ना ही उस महिला के ख़िलाफ़ कोई क़ानूनी कार्यवाही हुई जिसने हमें फ़तौ को बेचने की कोशिश की.
टीम ने अपने निष्कर्षों के बारे में ऐप और टेक कंपनियों से संपर्क किया.
बाद में 4सेल ने घरेलू कामगार अनुभाग को हटा दिया और फ़ेसबुक ने “#maidsfortransfer” हैशटैग पर प्रतिबंध लगा दिया.
सऊदी कमोडिटी ऐप, हरज की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई.

गूगल और एप्पल दोनों ने बीबीसी को बताया कि इस प्रकार के व्यवहार का उनके एप्लीकेशन स्टोर पर कोई स्थान नहीं था. और वे अपने प्लेटफार्मों पर इस तरह की अवैध गतिविधि को रोकने के लिए ऐप डेवलपर्स के साथ काम कर रहे हैं.

-BBC