कानूनी सेवा दिवस: मुफ़्त न्याय पाने के ल‍िए कौन है सुपात्र

अन्तर्द्वन्द

किसी भी समाज में जब कोई विवाद होता है तो पहले पंचों द्वारा उसका फैसला किया जाता था, परंतु अब न्यायालय प्राधिकरण द्वारा दोनों पक्षों की बात सुनकर न्याय किया जाता है जरूरी नहीं है न्याय की आवश्यकता हर तरह से सक्षम व आर्थिक संपन्नता के ही व्यक्ति को जरूरत है अनेकों बार गरीब नागरिकों ,अपाहिजों ,महिलाओं बच्चों ,आपदा से पीड़ित को आदि अनेक ऐसे वर्ग होता हैं ,जिन्हें न्याय चाहिए होता है पर वह अशिक्षित होने के साथ आर्थिक रूप से व शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं| इसी बात को मद्देनजर रखते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 A अवसर की समानता के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिये समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22 (1), विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के लिये राज्य को बाध्य करता है।

कानूनी सेवा दिवस मनाने के पीछे सर्वोच्च न्यायालय की बड़ी साफ मंशा व उद्देश्य था कि समाज के कमजोर व्यक्तियों के वर्गों को निशुल्क व सरकारी कुशल प्रशिक्षित द्वारा कानूनी सेवाएं प्रदान की जाए ताकि सभी समाज को न्याय मिल सके सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 1995 को 9 नवम्बर क़ानून सेवा दिवस मानना का निर्धारित किया ।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत कानूनी सेवा व्यवस्था का संचालन हर स्तर के न्याय प्राधिकरण द्वारा लोक अदालतों व सेमिनार और शिविरों का आयोजन करके लोगों ना केवल जागरूक करता है बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करता है कि वह इन लोक अदालतों के माध्यम से या कानूनी सेवा दिवस के तहत अगर वह न्याय की अपेक्षा रखते हैं तो सरकार उनकी हर प्रकार से मदद करेगी ।आज विश्व कानून सेवा दिवस पर सभी महिलाएं और बच्चे ,अनुसूचित जाति व जनजाति के लोग ,औद्योगिक श्रमिक बड़ी आपदाओं या औद्योगिक आपदा से त्रस्त लोग ,विकलांग ,व गरीब जिनकी आय सालाना ₹100000 से कम है वह इन सभी

लोगों की समस्याओं का शिविरों में समाधान करने का प्रयास किया जाता है ।सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से कई शिविर और सेमिनार में बच्चों को और युवाओं को कानून की जानकारी देकर उन्हें ना केवल जागरूक किया जाता है बल्कि प्रशिक्षित भी किया जाता है ।हर व्यक्ति को जीने के लिए कानूनी सेवा दिवस की बहुत ही बड़ी उपयोगिता है|

आज के दिन हम सभी न्यायालय प्राधिकरण प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए लोग व सामाजिक संगठन जो क़ानूनी सेवा देते को सलाम करते हैं किसी ने सही कहा है क‍ि न्याय तभी तक न्याय रहेगा जब सस्ता व सुलभ होगा ।

– राजीव गुप्ता जनस्नेही,
लोक स्वर, आगरा