अंटाकर्टिक महासागर जँहा पर मिलती है दुनिया की सबसे साफ हवा

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क्‍या आपको पता है कि दुनिया की सबसे साफ हवा कहां मिलती है? जहां इंसान के फैलाए प्रदूषण का एक कण तक न मिलता हो। वो जगह है अंटाकर्टिक महासागर या सदर्न ओशन के ऊपर। ये महासागर अंटाकर्टिका को घेरे हुए है। वहीं पर मिलती है दुनिया की सबसे साफ हवा।

यहां की हवा पर इंसान की एक्टिविटी का कोई असर नहीं

कोलराडो स्‍टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने ऐसे इलाकों की पहचान की जहां इंसान की वजह से कोई असर नहीं पड़ा है। रिसर्चर्स ने पाया कि सदर्न ओशन के ऊपर बहने वाली हवा में एयरोसॉल पार्टिकल्‍स नहीं मिले। एयरोसॉल पार्टिकल्‍स इंसानी एक्टिविटीज से बनते हैं जैसे ईंधन जलाना, फसलें उगाना, फर्टिलाइजर, कूड़ा-कूचरा फेंकना आदि। ना ही यहां पर दुनिया भर की खराब हवा का कोई नामोनिशान मिला।

कहां से आई है ये हवा?

एयरोसॉल्‍स की वजह से ही प्रदूषण होता है। वो ऐसे सॉलिड और लिक्विड पार्टिकल्‍स या गैसेज होते हैं जो हवा में उड़ते रहते हैं। जब रिसर्चर्स ने हवा में मौजूद बैक्‍टीरिया के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की कि यहां की हवा में क्‍या है तो पता चला कि उसमें बाकी महाद्वीपों के माइक्रोऑर्गनिज्‍म्‍स नहीं हैं। CNN में छपी रिपोर्ट में रिसर्च साइंटिस्‍ट थॉमस हिल समझाते हैं कि ‘एयरोसॉल्‍स की प्रॉपर्टीज को कंट्रोल करने वाले सदर्न ओशन के बादल ओशन बायोलॉजिकल प्रोसेस से मजबूती से जुड़े हैं। दक्षिणी महाद्वीपों से माइक्रोऑर्गनिज्‍म्‍स और न्‍यूट्रिएंट्स के प्रचार से अंटाकर्टिका अछूता लगता है।’

हवा में सिर्फ समुद्र के माइक्रोब्‍स

साइंटिस्‍ट्स ने मरीन बाउंड्री लेवल (वो हिस्‍सा जो समुद्र के सीधे संपर्क में होता है) से हवा के सैंपल लिए। फिर वातावरण में मिलने वाले माइक्रोब्‍स और इस हवा में मिले माइक्रोब्‍स की तुलना की गई। DNA सीक्‍वेंसिंग, सोर्स ट्रैकिंग और विंडबैक ट्रैजेक्‍टरीज से पता चला कि यहां के हवा में जो माइक्रोब्‍स थे, वे समुद्र के ही थे। दूर की हवा में मौजूद एयरोसॉल्‍स यहां नहीं मिले। साइंटिस्‍ट यह नतीजे देखकर हैरान हैं क्‍योंकि उन्‍होंने दुनियाभर के समुद्रों के ऊपर बहने वाली हवा पर रिसर्च की है और सबमें माइक्रोब्‍स मिले थे।

दुनिया की बड़ी समस्‍या है वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण एक महामारी की तरह है। हर साल 70 लाख लोग इसकी वजह से अपनी जान गवां देते हैं। वायु प्रदूषण से दिल की बीमारी, स्‍ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑगनाइजेशन (WHO) के मुताबिक शहरों में रहने वाले 80% से ज्‍यादा लोग हेल्‍दी लिमिट से खराब हवा में सांस लेते हैं।

इस दौर में यह जानना इसलिए भी जरूरी है क्‍योंकि दुनिया में प्रदूषण का स्‍तर इतना बढ़ गया है कि साफ हवा में सांस लेना बड़ी मुश्किल से नसीब होता है। शहरी इलाकों की हालत तो और भी खराब है। कोरोना वायरस महामारी फैली तो लॉकडाउन के चलते लोग घरों में बैठे रहे। उसका असर प्रदूषण के स्‍तर पर साफ दिखा। अब कई शहरों की हवा सांस लेने लायक हुई है।

-एजेंसियां