इंदौर। मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा रद्द किए जाने के निर्वाचन आयोग के आदेश को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने शनिवार को अनुचित बताया।
तन्खा ने इस मामले में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के उनके प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन चुनाव प्रचार में एक दूसरे पर जमकर तंज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनावों में सियासी नेताओं को उनके विरोधियों की कटाक्षपूर्ण आलोचना से रोका नहीं जा सकता।
तन्खा, कमलनाथ से संबंधित ताजा आदेश के खिलाफ शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। उन्होंने इस मामले से जुड़े सवालों पर कहा कि अगर आप सियासी दलों के चुनाव अभियान को इस तरह रोकेंगे और नेताओं को एक-दूसरे की आलोचना भी नहीं करने देंगे, तो यह उचित नहीं है। चुनाव प्रचार में कुछ कटाक्ष तो होंगे ही।
उन्होंने कहा कि क्या प्रचार के दौरान ट्रंप कटाक्ष नहीं कर रहे हैं, क्या बिडेन कटाक्ष नहीं कर रहे हैं? क्या ब्रिटेन में (चुनाव प्रचार के दौरान) कटाक्ष नहीं होते? पूरी दुनिया में प्रचार के दौरान कटाक्ष होते हैं।
तन्खा ने कहा कि चुनाव प्रजातंत्र का उत्सव होते हैं। अगर मजाक नहीं बनाया जाएगा, बोल-चाल में हंसी-मजाक नहीं होगा, तो चुनाव किस बात का? इस उत्सव को होने तो दीजिए। राज्यसभा सांसद ने कमलनाथ का स्टार प्रचारक दर्जा रद्द किए जाने के निर्वाचन आयोग के शुक्रवार के आदेश को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ बताया।
उन्होंने कहा कि यह बेहद आश्चर्य की बात है कि मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को होने वाले उपचुनावों के प्रचार के अंतिम दौर में कमलनाथ को कोई नया नोटिस दिए बगैर ही उनसे स्टार प्रचारक का दर्जा छीन लिया गया।
तन्खा ने आरोप लगाया कि कमलनाथ की चुनावी सभाओं में भारी भीड़ देखकर बौखलाई भाजपा ने साजिश के तहत उनके खिलाफ निर्वाचन आयोग में शिकायतें कीं ताकि पूर्व मुख्यमंत्री को चुनाव प्रचार से रोका जा सके।
उन्होंने बताया कि निर्वाचन आयोग के संबंधित आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया जा रहा है और वह तथा वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कमलनाथ की ओर से मामले की पैरवी करेंगे।
तन्खा ने जोर देकर कहा कि किसी भी नेता को उसकी राजनीतिक पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल करना या इससे बाहर करना निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता क्योंकि यह फेहरिस्त संबंधित पार्टी द्वारा तय की जाती है।
-एजेंसियां
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