सेना ने किया अंडमान एंड निकोबार से 290KM रेंज वाली ब्रह्मोस का ‘लाइव मिसाइल टेस्‍ट’

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नई दिल्‍ली। सेना ने आज सुबह 10 बजे अंडमान एंड निकोबार से 290KM रेंज वाली ब्रह्मोस का ‘लाइव मिसाइल टेस्‍ट’ किया है। इस हफ्ते ब्रह्मोस मिसाइल के कई ऑपरेशन टेस्‍ट्स होने हैं। चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच इन टेस्‍ट्स से यह दिखाने की कोशिश की जाएगी कि मिसाइल कितनी सटीकता से टारगेट हिट कर सकती है। यह मिसाइल रूस और भारत के रक्षा संस्‍थानों के साथ आने से बनी है। BrahMos में से Brah का मतलब ‘ब्रह्मपुत्र’ और Mos का मतलब ‘मोस्‍कवा’। यानी दोनों देशों की एक-एक नदी के नाम से मिलाकर इस मिसाइल का नाम बना है।

दुनिया की सबसे बड़ी पैदल सेना रखने वाले भारत के पास एक से एक घातक हथियार हैं। हमारी तीनों सेनाओं के बेड़े में ऐसी-ऐसी मिसाइलें हैं दुश्‍मन को संभलने का मौका तक नहीं देती। जितने वक्‍त में उनका डिफेंस सिस्‍टम तैयार हो पाता है, ये मिसाइलें अपना काम निपटा चुकी होती हैं। ब्रह्मोस ऐसी ही एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक, ब्रह्मोस मैच 3.5 यानी 4,300 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ सकती है।

एक नहीं, कई रूपों में आती है ब्रह्मोस मिसाल

ब्रह्मोस मिसाइल के कई वैरियंट्स हैं। ताजा टेस्‍ट 290 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल के होने हैं जो कि एक नॉन-न्‍यूक्लियर मिसाइल है। यह मैच 2.8 की रफ्तार से उड़ती है यानी आवाज की रफ्तार का लगभग तीन गुना। इसे सुखोई लड़ाकू विमान से लॉन्‍च किया जाएगा। दोनों साथ मिलकर एक घातक कॉम्‍बो बनाते हैं जिससे दुश्‍मन कांपते हैं। इस मिसाइल का एक वर्जन 450 किलोमीटर दूर तक वार कर सकता है। इसके अलावा एक और वर्जन टेस्‍ट हो रहा है जो 800 किलोमीटर की रेंज में टारगेट को हिट कर सकता है।

हवा, पानी, जमीन… कहीं से भी कर सकते हैं फायर

ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत ये है कि इसे कहीं से भी लॉन्‍च किया जा सकता है। जमीन से हवा में मार करनी वाले सुपरसोनिक मिसाइल 400 किलोमीटर दूर तक टारगेट हिट कर सकती है। पनडुब्‍बी वाली ब्रह्मोस मिसाइल का पहला टेस्‍ट 2013 में हुआ था। यह मिसाइल पानी में 40 से 50 मीटर की गहराई से छोड़ी जा सकती है।

ऐसी पनडुब्ब्यिां भी बनाई जा रही हैं जिनमें इस मिसाइल का छोटा रूप एक टारपीडो ट्यूब में फिट किया जाएगा। हवा में मिसाइल छोड़ने के लिए SU-30MKI का खूब इस्‍तेमाल होता आया है। यह मिसाइल 5 मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकती है। अधिकतम 14,00 फीट की ऊंचाई तक यह मिसाइल उड़ती है। वैरियंट्स के हिसाब से वारहेड का वजन बदल जाता है। इसमें टू-स्‍टेज प्रपल्‍शन सिस्‍टम है और सुपरसोनिक क्रूज के लिए लिक्विड फ्यूल्‍ड रैमजेट लगा है।

कहां हो सकता है इस्‍तेमाल?

सेना के एक वरिष्‍ठ अधिकारी के मुताबिक ब्रह्मोस मिसाइल को प्रिसिजन टारगेटिंग के लिए यूज किया जा सकता है। पिछले कुछ सालों में यह सेना के सबसे पसंदीदा हथियार के रूप में उभरी है। सुखोई और ब्रह्मोस का कॉम्‍बो अंडरग्राउंड बंकर्स, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स के अलावा कई मिलिट्री टारगेट्स पर सर्जिकल स्‍ट्राइज करने में इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

तीनों सेनाओं में से किसके पास कितनी ब्रह्मोस?

सेना के किस अंग के पास कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं, इसका डेटा सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं किया जाता। भारतीय वायुसेना की स्‍क्‍वाड्रन नंबर 222 (टाइगरशार्क्‍स) देश की पहली स्‍क्‍वाड्रन है जिसे ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया गया है। यह दक्षिण भारत में देश की पहली Su-30 MKI स्‍क्‍वाड्रन है जिसका बेस तंजावुर एयरफोर्स स्‍टेशन है। थल सेना के पास सैकड़ों ब्रह्मोस मिसाइलें हैं। नौसेना ने भी कई जंगी जहाजों, विनाशकों और फ्रिजेट्स पर यह मिसाइल तैनात कर रखी है।

सीमा पर इनकी तैनाती से ही घबरा गया था पाकिस्‍तान

पिछले साल अगस्‍त में भारत ने संविधान के अनुच्‍छेद 370 के तहत जम्‍मू और कश्‍मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्‍म कर दिया था। पाकिस्‍तान ने इसका खुला विरोध किया। आशंका थी कि पाकिस्‍तान आतंक के सहारे पलटवार की कोशिश कर सकता है। पाकिस्‍तानी सेना की ओर से भी कुछ नापाक हरकत की आशंका को देखते हुए भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों को सीमा पर तैनात किया तो उसके होश उड़ गए। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तो संयुक्‍त राष्‍ट्र को चिठ्ठी लिख डाली थी कि भारत एलओसी पर मिसाइलें तैनात कर रहा है और वह किसी ‘हरकत’ की ताक में है।

अभी और कई नए रूपों में आएगी ब्रह्मोस

ज्‍यादा रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल पर रूस और भारत काम कर रहे हैं। इस अपग्रेड को पहले से बनी मिसाइलों में भी लागू किया जाएगा। ब्रह्मोस-II के नाम से एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी बनाई जा रही है जिसकी रेंज करीब 290 किलोमीटर होगी। यह मिसाइल मैच 8 की रफ्तार से उड़ेगी यानी अभी के लगभग दोगुना। यानी यह दुनिया की सबसे तेज हाइपरसोनिक मिसाइल होगी।

इसके अलावा ब्रह्मोस-एनजी (नेक्‍स्‍ट जेनरेशन) जो कि वर्तमान मिसाइल का एक मिनी वर्जन है, डिवेलप की जा रही है। यह मिसाइल अभी की मिसाइल के मुकाबले आधी वनी होगी। इसमें रडार क्रॉस सेक्‍शन भी कम होंगे जिससे दुश्‍मन के एयर डिफेंस सिस्‍टम के लिए इसका पता लगा पाना और मुश्किल हो जाएगा। इस मिसाइल को सुखोई, मिग, तेजस के अलावा राफेल व अन्‍य लड़ाकू विमानों के साथ जोड़ा जाएगा।

-एजेंसियां