दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में प्रदूषण के बेहद खतरनाक स्तर पर चिंता जताते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि घर के अंदर के वातावरण को प्रदूषित हवा से बचाने के लिए वैदिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
इंटरडिसिप्लिनरी जर्नल ऑफ यज्ञ रिसर्च में प्रकाशित शोध में दावा किया गया है कि वेदों और उपनिषदों समेत प्राचीन ग्रंथों में वर्णित यज्ञ, घर के अंदर के पर्यावरण में कणिका तत्व यानी PM लेवल को कम कर सकती है जो वायु प्रदूषण का कारण है।
जैविक वायु प्रदूषकों को कम करता है यज्ञ
यज्ञ एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मंत्रों के लयबद्ध जप के साथ जड़ी-बूटियों को आग में छोड़ा जाता है। प्रारंभिक सबूतों के अनुसार, यज्ञ वायु प्रदूषण से उत्पन्न सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) के स्तर के साथ ही सूक्ष्मजीवों जैसे जैविक वायु प्रदूषकों को कम करता है। वर्तमान अध्ययन ने दिसंबर 2017 में घर के अंदर के वातावरण में मौजूद कणिका तत्व PM लेवल पर यज्ञ के प्रभाव पर हुए दो शोधों का आकलन किया था।
यज्ञ करने के बाद PM 2.5 में कमी देखी गई
दिल्ली के कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग की सलाहकार ममता सक्सेना ने कहा कि निष्कर्षों में पता चलता है घर के अंदर यज्ञ करने के बाद PM 2.5, 10 और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) में कमी देखी गई है। 2.5 माइक्रोमीटर से कम आकार के कण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं क्योंकि वे फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं और बाहर नहीं निकलते जिससे सांस और हृदय रोग होने का खतरा रहता है।
-एजेंसी