नयी दिल्ली। भारत की अलग-अलग राज्य सरकारों ने चर्च और मस्जिद नियंत्रण में न लेकर, केवल हिंदुओं के मंदिर नियंत्रण में लिए है। हिन्दू जागरूक और संगठित नहीं, यही इस समस्या का मूल कारण है। पूर्वकाल से ही मंदिर हिंदुओं के लिए ऊर्जास्रोत रहें हैं लेकिन वर्तमान स्थिति में मंदिरों के माध्यम से हिन्दुओं को कहीं भी धर्मशिक्षा नहीं दी जाती। अन्य पंथियों को उनके प्रार्थनास्थलों से धर्मशिक्षा दी जाती है। सामाजिक कार्य हेतु मंदिर नहीं बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं की उपासना और हिन्दुओं को धर्मशिक्षा हेतु मंदिर है।
सरकारी आस्थापन हानि में चलाकर उन्हें संभाल न सकने वाली विविध राज्यों की सरकारें, अप्रशिक्षित सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा हिन्दुओं के मंदिर का कामकाज किया जा रहा है। इस प्रकार मंदिर के धन, संपत्ती का सार्वजनिक दुरुपयोग हो रहा है। इन मंदिरों के कामकाज में भ्रष्टाचार होने पर कोई भी दंड नहीं दिया जा रहा है। हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण थमे तथा मंदिरों का कामकाज श्रद्धालुओं द्वारा होने के लिए मंदिर के न्यासी, पुजारी और श्रद्धालुओं सहित सभी हिन्दू बंधुओं को अब केवल ‘जन्महिन्दू’ न रह कर ‘कर्महिन्दू’ बनकर इसके विरोध में संघर्ष करना चाहिए।
उक्त आव्हान ‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने किया। वे ‘राज्य सरकारों द्वारा केवल हिंदुओं के मंदिरों की धनराशि का दुरुपयोग क्यों?’ ‘विशेष संवाद’ को संबोधित कर रहे थे।
विदेश की वरिष्ठ पत्रकार मीना दास नारायण के ‘कैंडिड मीना’ (Candid Meena) की प्रसिद्ध ‘यू-ट्यूब वाहिनी’ द्वारा यह संवाद साधा गया। मीना दास द्वारा पूछे प्रश्नों के उत्तर अधिवक्ता इजलकरंजीकर ने दिए।
इस कार्यक्रम में मंदिर सरकारीकरण का दुष्परिणाम, मंदिर श्रद्धालुओं के नियंत्रण में आने के लिए कृति की दिशा, सूचना के अधिकार का उपयोग, ‘सेक्युलरिजम’ के नाम पर हिन्दुओं के साथ होनेवाला पक्षपात इत्यादि विषयों पर दर्शकों द्वारा पूछे प्रश्नों का शंकासमाधान किया गया।
वक्फ बोर्ड को दिए गए असीमित अधिकारों के संदर्भ में सरकार द्वारा हिन्दुओं के साथ भेदभाव
अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने अपना विषय प्रस्तुत करते हुए आगे कहा, ‘तत्कालीन केंद्र सरकार के माध्यम से वर्ष 1995 में ‘वक्फ कानून’ लागू किया गया। इस प्रकार वक्फ बोर्ड को केवल मुस्लिमों के हित हेतु असीमित अधिकार दिए गए। सरकारी ब्यौरे के अनुसार इसी वक्फ बोर्ड के पास आज देशभर की 6 लाख एकड़ से अधिक भूमि है तथा उनकी संपत्ति 1.20 लाख करोड़ है। ऐसे वक्फ बोर्ड के पास इतनी बड़ी मात्रा में पैसा एकत्रित होते हुए भी सरकार हिंदुओं के मंदिरों के पैसे का उपयोग कर और करदाताओं का पैसा एकत्रित कर 15 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले अल्पसंख्यक मुस्लिमों को पाल रही है। हिंदुओं के साथ यह भेदभाव हो रहा है जिसका कानून विरोध होना चाहिए। अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने अंत में बताया कि वर्तमान में विविध ‘वेब सिरीज’ के माध्यम से हिन्दुओं के मंदिर, संत, रक्षादल का गलत चित्रण किया जा रहा है। इन्हें रोकने के लिए भी प्रयास होना चाहिए। चर्च में होनेवाले यौन शोषण जैसे अनेक विषयों पर ‘वेब सिरीज’ बनाने का साहस कोई नहीं करता।
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