नई दिल्ली। बीजेपी ने अपने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में 71 वर्षीय राधामोहन सिंह को सबसे बड़े प्रदेश की जिम्मेदारी इन वजहों से सौंपी गई है।
संघ और संगठन में जबरदस्त पकड़
राधामोहन सिंह की आरएसएस (संघ) और बीजेपी के संगठन में अच्छी पकड़ मानी जाती है। संघ और जनसंघ के रास्ते ही उनकी बीजेपी में एंट्री हुई थी। विद्यार्थी परिषद् के रास्ते छात्र राजनीति में आए थे। अपनी पहली कैबिनेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी।
सीएम योगी से अच्छे तालमेल
राधामोहन सिंह बिहार के राजपूत समाज से हैं। जातिगत और वैचारिक स्तर पर उनके सीएम योगी आदित्यनाथ से अच्छे संबंध हैं। राजपूत समाज के अलावा उनकी दूसरे बिरादरी के नेताओं में भी अच्छी पकड़ है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में ठाकुर और ब्राह्मणों की अलग-अलग लॉबी है। ऐसे में उनके बीच तालमेल बैठाने के लिए राधामोहन सिंह फिट नजर आते हैं।
छोटे कार्यकर्ताओं को भी देते हैं महत्व
राधामोहन सिंह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे संगठन के छोटे कार्यकर्ताओं को भी महत्व देते हैं। न सिर्फ धैर्य से कार्यकर्ताओं की बातें सुनते हैं बल्कि उनकी बातों को मानते भी हैं। उनके इसी कार्यशैली से कार्यकर्ता जल्द ही उनसे जुड़ जाते हैं।
संगठन में काम करने का लंबा अनुभव
बिहार के पूर्वी चंपारण से छठी बार संसद पहुंचे राधामोहन सिंह को संगठन में महारत हासिल है। उन्होंने सांसद रहने के बावजूद भी संगठन पर अपनी पकड़ कभी ढिली नहीं पड़ने दी। 9वीं लोकसभा में पहली बार सांसद चुने गए। उन समय बिहार बीजेपी में युवा मोर्चा के अध्यक्ष थे। वहीं 2006-2009 तक बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। फिलहाल बीजेपी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
उत्तर प्रदेश में सह प्रभारी रह चुके हैं
उत्तर प्रदेश में काम करने का राधामोहन सिंह के पास पहले से अनुभव है। साल 2010 में उन्हें पार्टी ने उत्तर प्रदेश का सह प्रभारी बनाया था।
-एजेंसियां