आगरा में 21 साल से कम उम्र के लोगों में डायबिटीज का पता चल सकेगा, इन्फोसिस में कंसल्टेंट शौर्या कम उम्र के टाइप वन डायबिटीज के मरीजों का हौसला बढाएंगी।
बेहतर इलाज और सस्ती व निशुल्क सुविधाओं के उद्देश्य से दिशा संस्था व आगरा डायबिटिक फोरम (एडीएफ) टाइप-1 डायबिटिक मरीजों का खाका तैयार करने जा रहा है। इसके लिए विश्व मधुमेह दिवस (14 नवम्बर) से टाइप-1 व 2 डायबिटीज से पीड़ित 21 वर्ष तक की आयु के मरीजों का रजिस्ट्रेशन प्रारम्भ होगा। आगरा व अलीगढ़ मंडल के अलावा अन्य स्थानों के लोग भी रजिस्ट्रेशन करा सकते है।
आगरा डायबिटिक फोरम के सचिव डॉ. सुनील बंसल ने बताया कि डायबिटीज के कुल मरीजों में लगभग 5 फीसदी टाइप-1 से पीडित होते हैं। टाइप-1 डायबिटीज बच्चों में और विशेषकर निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों में होती है। जिनके लिए समय पर और सही इलाज कराना मुश्किल होता है। महीनें में कई बार परीक्षण, हर रोज इंसुलिन लेना और शुगर स्तर जांचने का झंझट बच्चों व युवाओं का आत्मविश्वास तोड़ देता है। युवा पीड़ी को इस समस्या से बचाने के उद्देश्य से दिशा संस्था व आगरा डायबिटिक फोरम द्वारा प्रोजेक्ट दिशा फॉर टाइप-1 डायबिटीज (आत्मनिर्भरता की ओर पहला कदम) का शुभारम्भ विश्व मधुमेह दिवस (14 नवम्बर) से किया जा रहा है। जिसमें 21 वर्ष तक की आयु के डायबिटीज से पीड़ित लोग रजिस्ट्रेशन कराकर विभिन्न सुविधाएं पा सकेंगे। एडीएफ के कोषाध्यक्ष डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के लिए मरीज अपने डॉक्टर (जहां इलाज करा रहे हैं) से सम्पर्क कर सकते हैं। प्रोजेक्ट एडीएफ के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. डीके हाजरा के संरक्षण में चलेगा।
मिलेंगी सुविधाएं
-शहर के वरिष्ठ डॉक्टरों का पैनल रजिस्टर्ड मरीजों का परीक्षण करेगा।
-मरीज की स्थिति देखकर इंसुलिन व ग्लूकोमीटर डिसकाउन्ट या फ्री में उपलब्ध कराया जाएगा।
-शहर की चिन्हित पैथोलॉजी में रजिस्टर्ड मरीजों को 50 फीसदी तक डिसकाउंट दिया जाएगा।
-6 माह के अन्तराल पर रजिस्टर्ड मरीजों के लिए कैम्प आयोजित किए जाएंगे।
-आत्मविश्वास को बरकरार रखने के लिए मोटीवेटर व डायटीशियन मरीजों के सम्पर्क में रहेंगे।
टाइप-1 डायबिटीज मरीजों के लिए शौर्या बनेगी रोल मॉडल
13 वर्ष की आयु से टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित शौर्या अग्रवाल उन युवा मरीजों के लिए रोल मॉडल बनेंगी, जो इस बीमारी को जिंदगी से हारना समझ बैठते हैं। सीए करने के बाद 23 वर्ष की शौर्या आज इनफोसिस में कन्सलटेंट हैं। रजिस्टर्ड मरीजों को वह काउंसलिंग कर सिखाएंगी कि टाइप-1 डायबिटीज के साथ खुशहाल और सामान्य जिन्दगी कैसे जीनी चाहिए। साथ ही युवा मरीजों के अभिभावकों की भी काउंसलिंग कर सिखाया जाएगा कि वह अपनों बच्चों को आत्मनिर्भर और खुशहाल जिन्दगी जीने के लिए कैसे प्रेरित कर सकते हैं।
क्या है टाइप-1 डायबिटीज
आगरा। टाइप-1 डायबिटीज बच्चों में और बहुत तेजी के साथ होती है। वजह पैनक्रियाज में नफेक्शन के कारण कोशिकों को नष्ट होना होता है। जिसके कारण इसे दवाओं से कंट्रोल करना मुश्किल होता है। सीधे इंसुलिन देना पड़ता है। कई मरीजों को दिन में 3-4 बार तक इंसुलिन लेनी पड़ती है। टाइप-1 मरीजों को 2-3 दिन इंसुलिन न मिले तो वह कोमा में भी जा सकते हैं। जबकि टाइप-2 डायबिटीज अमूमन 25 वर्ष के बाद मोटापा या गलत लाइफ स्टाइल के कारण होती है। जिसे कई वर्षों तक दवाओं से कंट्रोल किया जा सकता है।