चीन के साथ आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा: भारत जरूरत पड़ने पर हवाई क्षमता के उपयोग से नहीं हिचकेगा

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नई दिल्‍ली। भारत और चीन के बीच आठवें दौर की सैन्य स्तरीय बातचीत भी बेनतीजा साबित हुई है।

भारत पूर्वी लद्दाख में सीमा पर से सारे सैनिकों की वापसी की मांग पर अड़ा है और चीन को दोटूक कह चुका है कि भारत से एकतरफा सैन्य वापसी की आस कभी पूरी नहीं होगी। अभी 15,000 फीट की ऊंचाई पर दोनों देशों के 50 हजार से ज्यादा सैनिक हॉवित्जर तोपों, टैंकों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम के साथ तैनात हैं।

हवाई क्षमता के इस्तेमाल से नहीं हिचकेगा भारत: वायुसेना प्रमुख

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भी कहा कि भारत की सक्रिय कार्यवाहियों और मजबूती से डटे रहने के कारण लद्दाख में यथास्थिति बदलने की चीन की आगे के प्रयासों को झटका लगा। वायुसेना की तरफ से त्वरित तैनातियों ने स्पष्ट कर दिया कि भारत जरूरत पड़ने पर हवाई क्षमता के उपयोग से नहीं हिचकेगा।

‘चीन के साथ पूर्ण युद्ध की आशंका नहीं, लेकिन हो सकता है बड़ा संघर्ष’

दूसरी ओर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत का कहना है कि भारत किसी भी हाल में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को पश्चिम की तरफ खिसकाने की चीन की मंशा सफल नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि यूं तो चीन के साथ युद्ध छिड़ने की आशंका नहीं के बराबर है लेकिन सीमा पर जारी तनाव और चीनी सैनिकों की अतिक्रमण की कोशिशों के कारण बड़े पैमाने पर संघर्ष की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है।

जनरल रावत ने एक वेबीनार में कहा, ‘हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है कि यथास्थिति बहाल करना ही होगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘सुरक्षा आंकलनों के मुताबिक चीन के साथ संपूर्ण युद्ध की आशंका बहुत कम है। हालांकि सीमा पर गतिरोध, सीमा पर उल्लंघन और बिना उकसाए चीन की तरफ से सैन्य कार्यवाहियों के कारण बड़े स्तर पर संघर्ष की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।’

देश के सबसे पड़े सैन्य अधिकारी ने इस बात पर भी जोर दिया कि चीन को एलएसी को इधर-उधर करने की अनुमति बिल्कुल नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि चीन को सीमा पर उसके दुस्साहस का परिणाम भुगतना पड़ रहा है जिसकी उसकी कल्पना नहीं की थी क्योंकि भारतीय सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में दृढ़ता से बेहद कठोर प्रतिक्रिया दी।

सीडीएस जनरल रावत ने वेबीनार में कहा कि भारत के पास दोतरफा युद्ध की तैयारियों के सिवा कोई चारा नहीं है क्योंकि चीन और पाकिस्तान लगातार आपसी सहयोग से भारत के खिलाफ गतिविधियां चला रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘एलएसी पर चीन की सैन्य कार्यवाहियों के रूप में भारत के सामने चुनौती उभरी है। आने वाले सालों में चीन की और अधिक आक्रामक हो सकता है।’

उन्होंने कहा, ‘सीमा विवाद, पाकिस्तान को चीन का समर्थन, बीआरआई प्रोजेक्ट्स के जरिए दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती मौजूदगी और असंतुलित आर्थिक संबंध, कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो निकट भविष्य में भारत-चीन के रिश्तों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण बनेंगे।’

-एजेंसियां

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