वॉशिंगटन। चीन के तमाम विरोध के बावजूद शुक्रवार को वाशिंगटन में अमेरिका और ताइवान ने आर्थिक संबंधों के ब्लूप्रिंट पर दस्तखत किए। इससे दोनों के बीच संबंध और प्रगाढ़ होंगे। अमेरिका और ताइवान के बीच इस नए करार से व्हाइट हाउस और बीजिंग के साथ संबंध और तल्ख हो सकते हैं।
बता दें कि हांगकांग और ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव चरम पर है। बता दें सितंबर में चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी थी अगर उसने ताइवान से अपनी आगामी वार्ता रद नहीं कि तो दोनों देशों के बीच संबंधों को काफी नुकसान होगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था कि अमेरिका को ताइवान के साथ आधिकारिक बातचीत बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि था कि वाशिंगटन को ताइवान अलगाववादी ताकतों को कोई भ्रामक संकेत नहीं भेजना चाहिए।
इस दौरान वाशिंगटन में ताइवान के आधिकारिक प्रतिनिधि हासियाओ बी खीम ने अपने एक बयान में कहा कि वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर अमेरिका और ताइवान के बीच यह करार काफी अहम है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से बदलाव आया है। मानवाधिकार, साइबर सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक राजनीति में काफी तेजी से बदल रहे हैं। वैश्विक स्तर पर नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच यह संवाद इन चुनौतियों से निपटने के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होगा। अमेरिका और ताइवान इन चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने को राजी हैं।
इस वर्ष अमेरिका ने ताइवान को सेंसर, मिसाइल और तोपें बेचने की मंजूरी दी थी। इसके साथ ही ताइवान को अमेरिकी ड्रोन और हारपून एंटीशीप मिसाइल मिलने की भी उम्मीद है। दरअसल, ताइवान अपने समुद्री तटों को मजबूत करना चाहता है। इसमें हारपून एंटशीप बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग वेन ने चीन के बढ़ते खतरे के मद्देनजर अपनी रक्षा प्रणाली को और आधुनिकीकरण और मजबूत करना चाहती हैं। इस रक्षा सौदे पर भी चीन ने अपनी गहरी आपत्ति दर्ज की थी।
-एजेंसियां