आगरा: अवैध खनन के ये बड़े आपराधिक इतिहास, आखिर क्यों सबक नहीं लेती पुलिस

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आगरा। सैंया थाना क्षेत्र में खनन माफियाओं द्वारा सिपाही को ट्रैक्टर से कुचलने के मामले में पुलिस अधिकारियों के आदेश पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मगर बड़ा सवाल यह है कि सिपाही की हत्या के 24 घंटे बाद भी आगरा पुलिस इस मामले में खाली हाथ है। अभी तक सिपाही के ऊपर ट्रैक्टर चलाकर खाकी का खून करने वाले लोगों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब आगरा पुलिस सिपाही के हत्यारों की शिनाख्त करने में इतनी देरी कर रही है तो आम आदमी के साथ में क्या होता होगा।

अवैध खनन का व्यापार आगरा में कोई नया नहीं है। इससे पहले भी अवैध खनन के व्यापार को रोकने में गए तमाम वनरक्षक, सिपाहियों और दरोगा के साथ में हमले मारपीट जैसी गंभीर घटनाएं हुई हैं। बावजूद इसके आगरा पुलिस अवैध खनन माफियाओं की नाक में नकेल डालने में लाचार और बेबस नजर आ रही है। अब आपको वर्ष 2007 से आज तक की आगरा की वो बड़ी घटनाएं भी दिखाते हैं जहां अवैध खनन के चलते अधीनस्थ अधिकारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था।

1- 24 जुलाई 2020 थाना फतेहाबाद में पुलिस ने खनन की ट्रैक्टर ट्रॉली पकड़ी। पांच लोगों को हिरासत में लिया। जिन लोगों ने पुलिस पर हमला बोला था।

2- 14 जुलाई 2020 कस्बा किरावली में खनन माफिया ने सिपाहियों पर ट्रैक्टर चढ़ाया जिसमें सिपाही राघवेंद्र घायल हुआ।

3- 6 जुलाई 2020 थाना फतेहाबाद के गांव लालपुर के पास पुलिस पर हमला किया गया जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए।

4- 19 दिसंबर सन 2019 थाना सिकंदरा में सिपाहियों पर खनन माफियाओं ने ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की।

5- 3 नवंबर 2019 को थाना इरादत नगर में खनन माफिया ने एसआई निशांत त्यागी को गोली मार दी। जिसके बाद दरोगा की मौत हो गई थी।

6- 18 अक्टूबर 2019 को थाना खेरागढ़ के रूधऊ गांव में दो सिपाहियों पर हमला करके खनन माफिया फरार हो गए।

7- 5 जून सन 2019 को खेरागढ़ के गांव बुरहरा में खनन माफिया को रोकने गई पुलिस की मुठभेड़ हुई फायरिंग में कई पुलिसकर्मी घायल हुए। हमलावर भाग गए और मुकदमा दर्ज किया गया। आज भी पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी है।

8- 17 फरवरी 2019 फतेहाबाद के बिलपुरा में वनकर्मियों पर हमला किया गया। जहां पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।

9- सन 2007 में बाह थाना क्षेत्र में खनन करने वाले आठ लोगों को दस्यु सरदार जगजीवन सिंह परिहार ने अपहरण किया था। जबकि आठ लोगों ने बीहड़ में कूदकर अपनी जान बचाई थी। तब ये लोग फिरौती की मोटी रकम देकर छूटे थे। इसके बाद अवैध खनन को लेकर गढ़ी तिदावली घाट पर फायरिंग हुई और इतना सब होने के बाद भी चंबल में अवैध खनन नहीं रुक सका।

इन सभी घटनाओं के बावजूद भी आगरा पुलिस में अभी तक कोई सबक नहीं लिया है। खनन माफियाओं को रोकने और सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए कोई भी एक्शन प्लान तैयार नहीं किया गया है। देखा ये जाता है कि जब-जब खनन माफियाओं द्वारा कोई घटना की जाती है। उसके बाद पुलिस एक्शन में आती है और दिन दो दिन कार्यवाही कर फिर सुस्ती देखने को मिलती है। देखना होगा कि आखिर कब आगरा पुलिस की इन अवैध खनन करने वाले माफियाओं को लेकर नींद टूटेगी।

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